एक सीने में दो दिल धडकते
मैंने देखा है,
एक को रोते
एक को औरों को हँसाते
मैंने देखा है,
खुद को अंजानों की भीड में
और भीड जैसा माहौल
खुद में उमडते
मैंने देखा है..॥
दूसरों की पादुकाओं में
ठंडी रातों में
अपने मन को
कुलमुलाते मैंने देखा है,
दीवार जैसे रिश्तों को
समय की आँधी में
फिसलती रेत होते
मैंने देखा है…॥
देखो ना इतने ध्यान से तुम,
नज़रें जो मिली तो रो पडोगे,
सौ दर्द, हज़ार आँसू, अनगिनत लफ़्ज़ दबे हैं यहाँ,
दिल के टुकडे ’गर’ गिनने निकलोगे
तो खुद बिखर पडोगे,
शब्दों में बयां ना हो जो,
उस दास्तां का सारांश है ये,
जहाँ लोग ज़मानों की तरह
बदल गये,
और बदले ज़मानों का
हिसाब नहीं जहाँ,
हर टूटी मुस्कुराहट में
छिपी खुशी है जहाँ,
और उन्हीं लोगों, ज़मानों और मुस्कुराहटों मे
बर्फ़ से ठंडे रिश्तों को
खून मे बदलते
मैंने देखा है…
मैंने देखा है…॥॥